क्या आपके जीवन में कभी ऐसा समय आया है जब आपको लगा हो कि आप अपने कर्मों के बोझ से दबे जा रहे हैं? अगर हां, तो आज का दिन आपके लिए विशेष है! पाप मोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) का व्रत आपके जीवन के सभी पापों को नष्ट कर सकता है और आपको एक नया, पवित्र जीवन प्रदान कर सकता है। आइए जानते हैं इस दिव्य एकादशी का महत्त्व और इसकी पौराणिक कथा।
🌸हरे कृष्णा! 🌸 राधे राधे! 🌸आज एक अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण एकादशी का दिन है, जिसे पाप मोचनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में आती है और इसका नाम ही यह संकेत देता है कि यह सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाली है। ब्रह्मांड पुराण में इस एकादशी की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है।
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TogglePapmochani Ekadashi 2025: पाप मोचनी एकादशी का महत्त्व

महाभारत काल में, जब धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से एकादशी ( Papmochani Ekadashi 2025) की महिमा के बारे में पूछा, तो श्रीकृष्ण ने कहा:
“हे राजन! इस एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) के व्रत से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वह अत्यंत गुणवान तथा धार्मिक बन जाता है। जो भी इस दिन सच्चे मन से व्रत रखता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।”
Papmochani Ekadashi 2025 – पौराणिक कथा: मेधावी ऋषि और मंजुघोष"

प्राचीन काल में एक सुंदर वन था, जहां देवताओं के राजा इंद्र और अप्सराएं विहार करने आया करते थे। इसी वन में महर्षि चवन के पुत्र, शिव भक्त मेधावी ऋषि घोर तपस्या में लीन थे। उनकी तपस्या से भयभीत होकर कामदेव ने उनकी साधना भंग करने का प्रयास किया।
कामदेव ने अपनी योजना के तहत स्वर्ग की अप्सरा मंजू घोष को मेधावी ऋषि को मोहित करने भेजा। मंजू घोष अत्यंत सुंदर थी और उसने अपने हाव-भाव और संगीत से ऋषि का ध्यान भंग करने का प्रयास किया।
धीरे-धीरे ऋषि भी उसके प्रेम में पड़ गए और अपनी घोर तपस्या त्याग दी। कई वर्षों तक वे इस मोह में फंसे रहे। लेकिन जब मंजू घोष ने पुनः देवलोक लौटने की अनुमति मांगी, तब ऋषि को आत्मज्ञान हुआ कि उन्होंने अपना बहुमूल्य समय व्यर्थ कर दिया है। वे अत्यंत क्रोधित हो गए और मंजू घोष को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया।
मंजू घोष इस श्राप से अत्यंत दुखी हो गई और रोते हुए ऋषि के चरणों में गिरकर क्षमा याचना करने लगी। जब उसने श्राप से मुक्त होने का उपाय पूछा, तो ऋषि ने उसे पाप मोचनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। इस व्रत के प्रभाव से मंजू घोष पिशाच योनि से मुक्त हो गई और अपने पूर्व स्वरूप को प्राप्त कर स्वर्ग लोक चली गई।
जब मेधावी ऋषि अपने आश्रम लौटे और अपने पिता चवन ऋषि को यह पूरा वृतांत सुनाया, तो उन्होंने कहा कि मंजू घोष को श्राप देने के कारण मेधावी स्वयं भी पाप के भागीदार बन गए हैं। अतः उन्हें भी पाप मोचनी एकादशी का व्रत करना चाहिए। व्रत करने के पश्चात, मेधावी ऋषि के भी सभी पाप नष्ट हो गए।
Papmochani Ekadashi 2025 – एकादशी व्रत का पालन कैसे करें?
सत्संग और कथा श्रवण करें – इस दिन भगवान विष्णु की कथा सुनना और सुनाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
भगवान का स्मरण करें – हरिनाम संकीर्तन, भजन-कीर्तन और जप से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
सत्कर्म करें – गौ-दान, अन्न-दान, और जरूरतमंदों की सहायता इस दिन विशेष रूप से फलदायी होती है।
संयम का पालन करें – अधिक सोने, निंदा करने और व्यर्थ की बातें करने से बचें।
भक्ति भाव से उपवास करें – इस दिन सात्त्विक भोजन ग्रहण करें या पूर्ण उपवास रखें।
Papmochani Ekadashi 2025 का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
Papmochani Ekadashi 2025: पाप मोचनी एकादशी का फल
जो भी श्रद्धा और भक्ति से इस एकादशी का पालन करता है, वह बड़े से बड़े पापों से मुक्त हो जाता है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को गौ-दान का फल प्राप्त होता है और उसका अगला जन्म भी शुभ एवं सुखमय होता है।
इसलिए, हमें इस एकादशी का व्रत निष्ठा और भक्ति भाव से करना चाहिए ताकि हम अपने पापों से मुक्ति पाकर परम शांति की ओर अग्रसर हो सकें।
जो भक्त सच्चे मन से Papmochani Ekadashi 2025 का पालन करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। Papmochani Ekadashi 2025 का पालन करने से न केवल मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
🌸हरे कृष्णा! 🌸 राधे राधे! 🌸
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