Dev Uthani Ekadashi का पवित्र पर्व हर वर्ष श्रद्धालुओं द्वारा बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। क्या आपने कभी ऐसा दिन सोचा है जब स्वयं सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और उनके जागने के साथ ही पूरा ब्रह्मांड पुनः जीवन से भर उठता है?
वह पवित्र क्षण कहलाता है — Dev Uthani Ekadashi।
यह वह दिन है जब भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और संसार में शुभता, धर्म और प्रकाश का पुनः संचार होता है।
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ToggleDev Uthani Ekadashi क्या है?
Dev Uthani Ekadashi, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।
यह दिन देवशयनी एकादशी (आषाढ़ मास में) के चार महीने बाद आता है। देवशयनी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर योगनिद्रा में चले जाते हैं।
इन चार महीनों की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। इस समय के दौरान सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश, यज्ञ आदि रोक दिए जाते हैं, क्योंकि स्वयं भगवान विश्राम करते हैं।
जब कार्तिक शुक्ल एकादशी आती है, तब भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा से जागते हैं।
उनके जागरण के साथ ही समस्त सृष्टि पुनः गति प्राप्त करती है। यह दिन देवोत्थान या उत्थान एकादशी कहलाता है।
Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha (व्रत कथा)
पुराणों में वर्णित है कि जब भगवान श्री विष्णु अपनी योगनिद्रा से जागे, तब क्षीरसागर की लहरें हल्के–हल्के हिलने लगीं।
देवगण अपने दिव्य वाद्य लेकर खड़े थे। लक्ष्मीजी ने प्रभु के चरणों को स्पर्श कर कहा —“हे प्रभु! अब जागिए, संसार में फिर से शुभता और धर्म की धारा प्रवाहित हो।”
उनके जागते ही आकाश से पुष्पवृष्टि हुई, वातावरण में मधुर सुगंध फैल गई। ब्रह्माजी, शिवजी और सभी देवताओं ने मिलकर भगवान विष्णु की आराधना की और कहा —
“हे प्रभु! जब आप जागते हैं, तब मनुष्य अपने कर्मों को स्मरण करता है और भक्ति का प्रकाश फिर से जगमगाने लगता है।”
यह केवल भगवान के जागने का नहीं, बल्कि हर आत्मा के जागरण का क्षण है।
Dev Uthani Ekadashi का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
यह दिन केवल पूजा-पाठ का नहीं, बल्कि आत्मिक चेतना के जागरण का प्रतीक है।
जैसे भगवान विष्णु योगनिद्रा से उठते हैं और सृष्टि को जीवन देते हैं, वैसे ही यह दिन हमें भीतर से जागने का संदेश देता है।
इस एकादशी पर व्रत (Vrat) रखा जाता है, दीपदान, दान, तुलसी विवाह और हरि कथा श्रवण का विशेष महत्व होता है।
कहा जाता है कि इस दिन किया गया छोटा-सा पुण्यकर्म भी हजार गुना फल देता है।
तुलसी विवाह का आयोजन इसी दिन विशेष रूप से किया जाता है — यह विवाह भगवान विष्णु (शालिग्राम रूप) और देवी तुलसी का प्रतीक है, जो भक्तों के जीवन में समृद्धि और पवित्रता लाता है।
क्यों बढ़ जाता है Kartik मास में Dev Uthani Ekadashi का महत्व
Kartik मास भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इस महीने में किया गया कोई भी शुभ कार्य, जैसे प्रातः स्नान, दीपदान, जप, या दान — अनंत पुण्य फल देता है।
इसी कारण Dev Uthani Ekadashi का महत्व इस मास में और भी बढ़ जाता है।
यह दिन अंधकार के अंत और प्रकाश के आरंभ का प्रतीक है — अज्ञान से ज्ञान की ओर यात्रा का दिन।
जीवन के लिए संदेश — “केवल जीना नहीं, जागकर जीना
मानव जीवन अनमोल है। अनगिनत योनियों में भटकने के बाद यह दुर्लभ शरीर प्राप्त होता है।
परंतु हम अक्सर इसे तुच्छ इच्छाओं और मोह-माया में खो देते हैं।
Dev Uthani Ekadashi हमें याद दिलाती है कि जीवन का उद्देश्य केवल सांस लेना नहीं, बल्कि जागकर जीना है।
जब भगवान विष्णु उठते हैं, तब वे केवल सृष्टि को नहीं, बल्कि हमारे भीतर सोई हुई आत्मा को भी जगाते हैं।
यह दिन हमें अपने जीवन का मूल्य समझने, धर्म के पथ पर चलने और भक्ति में स्थिर रहने की प्रेरणा देता है।
Conclusion (निष्कर्ष): चेतना का उत्सव
Dev Uthani Ekadashi केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मा के पुनर्जागरण का उत्सव है।
यह हमें सिखाती है कि जब हम भीतर से जागते हैं, तभी सच्ची भक्ति और शांति का अनुभव होता है।
जब भगवान विष्णु उठते हैं, तो संपूर्ण सृष्टि मुस्कुराती है।
वैसे ही जब हमारी चेतना जागती है, तो हमारा जीवन भी ईश्वरीय प्रकाश से भर जाता है।
इस Dev Uthani Ekadashi, एक दीप जलाइए, हरि नाम का स्मरण कीजिए, और अपने हृदय में भी भक्ति का दीप प्रज्वलित कीजिए।
Wish you a Happy Dev Uthani Ekadashi!
May this sacred day bring awakening, peace, and divine blessings into your life.
हरे कृष्ण ! राधे राधे !
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