Bhai Dooj 2025: वह पावन दिन जब यमराज जी यमुना जी के घर जाते हैं

Brother and sister celebrating Bhai Dooj with tilak, sweets, and diyas, Yam Dwitiya tradition near Yamuna

Bhai Dooj सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, बल्कि यह भाई-बहन के प्रेम, सम्मान और आशीर्वाद का प्रतीक है। इसे Yam Dwitiya भी कहा जाता है और अलग-अलग राज्यों में इसके अन्य नाम भी प्रचलित हैं, जैसे Bhai Tika, Bhai Phonta और Bhai Bij। यह पर्व यमुनाजी और यमराज के पौराणिक प्रसंग से जुड़ा है और इसे करने से जीवन में धन, स्वास्थ्य और पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।

अब तुम मृत्युनाशक यमद्वितीया (Bhai Dooj) व्रत का वर्णन सुनो। द्वितीया तिथि को ब्राह्म मुहूर्त में उठकर, शौच आदि से निवृत्त हो  प्रातःकाल स्नान करे। फिर श्वेत वस्त्र, श्वेत पुष्प की माला और श्वेत चंदन धारण करे।

नित्यकर्म पूरा करके प्रसन्नतापूर्वक ओदुम्बर (गूलर) के वृक्ष के नीचे जाएँ। वहाँ उत्तम मंडल बनाकर उसमें अष्टदल कमल बनाएं। तत्पश्चात् उस ओदुम्बर-मंडल में ब्रह्मा, विष्णु, शिव तथा वीणापुस्तकधारिणी वरदायिनी सरस्वतीदेवी का स्वस्थचित्त से आवाहन एवं पूजन करे।

चंदन, अगरु, कस्तूरी, कुंकुम, पुष्प, धूप, नैवेद्य एवं नारियल आदि के द्वारा पूजन करके वेदवेत्ता ब्राह्मण को अलंकार सहित दूध देनेवाली सवत्सा गाय दान करे।
उस समय ब्राह्मण से इस प्रकार कहे –
“हे विप्र! मैं अपमृत्यु का निवारण करने के लिये संसार समुद्र से तारने वाली यह सीधी-सादी गाय आपको दे रहा हूँ।”

यदि गाय न मिले तो ब्राह्मण को भक्तिपूर्वक एक जोड़ा जूता ही अर्पण करे।

amraj visiting Yamuna Ji on Bhai Dooj, also known as Yam Dwitiya, with festive decorations and diyas

बहन का सत्कार और भाई का कर्तव्य

Bhai Dooj के  दिन कर्मपाश में बंधे हुए नारकीय पापियों को भी Yamraj छोड़ देते हैं, जिससे वे अपनी इच्छानुसार घूम सकते हैं। इस तिथी में विद्वान पुरुष भी प्रायः अपने घर भोजन नहीं करते।

बहन के ऐसा कहने पर व्रतवान पुरुष वस्त्र और आभूषण से हर्षपूर्वक उसका पूजन करे। बड़ी बहन को प्रणाम करके उसका आशीर्वाद ले। तत्पश्चात सभी बहिनों को वस्त्र और आभूषण देकर संतुष्ट करे।

यदि अपनी सगी बहिन न हो तो चाचा की पुत्री अथवा पिता की बहिन के घर जाकर आदरपूर्वक भोजन करे।

जो इस प्रकार Bhai Dooj का व्रत करता है, वह अपमृत्यु से मुक्त हो पुत्र-पौत्र आदि से संपन्न होता है और अंत में मोक्ष प्राप्त करता है। ये सभी व्रत और नाना प्रकार के दान गृहस्थ के लिये ही योग्य हैं।

व्रत में लगा हुआ जो पुरुष Bhai Dooj का इस कथाको सुनता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
कार्तिक शुक्ल की द्वितीया को Yamuna जी में स्नान करने वाला पुरुष यमलोक का दर्शन नहीं करता।

Yam Dwitiya का महात्म्य: बहन के हाथ का भोजन और उसके लाभ

जिन्होंने Bhai Dooj के दिन अपनी सौभाग्यवती बहिनों को वस्त्रदान आदि से संतुष्ट किया है, उन्हें एक वर्ष तक कलह या शत्रुभय का सामना नहीं करना पड़ता। उस तिथी को Yamuna जी ने बहिन के स्नेह से Yamraj देव को भोजन कराया था। 

इसलिये Bhai Dooj के दिन जो बहिन के हाथ से भोजन करता है, वह धन एवं उत्तम सम्पदा को प्राप्त होता है।

राजाओं ने जिन कैदियों को कारागृह में डाल रखा हो, उन्हें Bhai Dooj के दिन बहिन के घर भोजन करने के लिए अवश्य भेजना चाहिए। वह भी न हो तो मौसी या मामा की पुत्री को बहिन माने, या गोत्र/कुटुंब के संबंध से किसी के साथ बहिन का नाता जोड़ ले।

सबके अभाव में किसी समान वर्ण की स्त्री को बहिन मान ले और उसका आदर करे। वह भी न मिले तो किसी गाय या नदी आदि को बहिन बना ले। उसके भी अभाव में किसी जंगल/झाड़ी को ही बहिन मानकर वहां भोजन करे।

निष्कर्ष (Conclusion)

Bhai Dooj  केवल एक त्यौहार नहीं है, यह भाईबहन के पवित्र रिश्ते, सम्मान और आशीर्वाद का पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती है और भाई उसे सम्मान और आशीर्वाद देता है। पुराणों में वर्णित विधि का पालन करने से जीवन में सुख, संपत्ति और पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस Bhai Dooj, अपने भाई या बहन को सम्मान दें, उन्हें आशीर्वाद दें और इस पावन पर्व का आनंद लें।

Wish you Happy Bhai Dooj!

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