Papankusha Ekadashi : पापांकुशा एकादशी व्रत कथा

Papankusha Ekadashi story artwork – Lord Vishnu seated on Garuda, hunter seeking forgiveness from sage Angira.

क्या आपने कभी सोचा है कि पाप सिर्फ एक कर्म नहीं, बल्कि आत्मा पर लगा एक ऐसा धब्बा है जो हमारी शांति और दिव्यता को ढक देता है? जब मनुष्य छल करता है, दूसरों को दुख पहुँचाता है या अपने स्वार्थ में गलत कार्य करता है, तब वह केवल समाज के कानून ही नहीं तोड़ता बल्कि अपनी आत्मा के उजाले को भी कम कर देता है। यही कारण है कि शास्त्रों में पाप से बचने और प्रायश्चित करने के मार्ग बताए गए हैं। इन्हीं मार्गों में से एक है Papankusha Ekadashi

पाप बाहर से दिखाई नहीं देता, पर यह भीतर छिपकर हमारी नींद, हमारे संबंध और सबसे बढ़कर हमें भगवान से दूर कर देता है। यह एक दीवार की तरह है, जो हमें उस दिव्यता से अलग कर देता है जो जन्म से ही हमारे भीतर होती है। जब यह दीवार मोटी हो जाती है, तो इंसान भले सांस ले रहा हो लेकिन आत्मा से धीरे-धीरे मरने लगता है।

एक बहेलिया था, जो जंगलों में पशु मारकर अपनी जीविका चलाता था। वह क्रूर था, हिंसक था और किसी धर्म या शांति से उसका कोई नाता नहीं था। लेकिन एक दिन, उसने एक घायल हिरणी की तड़पती आँखों में कुछ ऐसा देखा, जिसने उसकी आत्मा को झकझोर कर रख दिया।

वह भटकता-भटकता ऋषि अंगीरा के आश्रम पहुंचा। उसका शरीर थका हुआ था, पर आत्मा पहली बार जाग रही थी। उसने ऋषि के चरणों में गिरकर कहा, “मैंने जीवन भर पाप किया है। क्या अब मेरे लिए कोई उपाय है?”

अंगीरा ऋषि मुस्कुराए और बोले, “पाप कभी इतना बड़ा नहीं हो सकता कि भगवान श्री हरि की कृपा उसका अंत ना कर सके। एकादशी निकट है। Papankusha Ekadashi। इस दिन भगवान श्री विष्णु की आराधना करो। Papankusha Ekadashi व्रत करो श्रद्धा से। बस एक दिन का त्याग और भगवान तुम्हारा उद्धार करेंगे।”

बहेलिए ने ना अन्न लिया, ना जल। पूरे दिन वह केवल भगवान विष्णु का नाम जपता रहा। उसके मन में ना कोई बड़ा अनुष्ठान था, ना कोई दिखावा, बस पश्चाताप और समर्पण था।

और जब Papankusha Ekadashi व्रत पूर्ण हुआ और मृत्यु का समय आया, तो यमदूत उसके प्राण लेने पहुंचे। लेकिन तभी एक दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ। विष्णु दूत उतरे और बोले, “तुमने Papankusha Ekadashi का व्रत कर अपने जीवन को शुद्ध कर लिया है। अब तुम्हारा स्थान भगवान के धाम में है।”

यही है Papankusha Ekadashi का चमत्कार।

क्यों है खास Papankusha Ekadashi?

Papankusha Ekadashi सिर्फ उपवास की तिथि नहीं है। यह आत्मा के लिए एक द्वार है। अंधकार से उजाले की ओर, पश्चाताप से शुद्ध भक्ति की ओर। यह दिन उन लोगों के लिए है, जो भीतर से टूट चुके हैं, जिनका मन गिल्ट में डूबा हुआ है और जो दोबारा उठने की हिम्मत ढूंढ रहे हैं।

  • इस दिन किया गया उपवास, जप, दान और सेवा, सब कुछ पापों को जला देने वाली अग्नि बन जाती है।
  • Papankusha Ekadashiके लाभ केवल मृत्यु के बाद ही नहीं मिलते।
  • जब कोई श्रद्धा से इस दिन भगवान का स्मरण करता है, तो वह अपने वर्तमान को भी बदल देता है।
  • मन की चंचलता कम होती है।
  • आत्मा हल्की हो जाती है और जीवन में भगवान श्री हरि का अनुभव गहरा होने लगता है।

निष्कर्ष (End)

तो अगर कभी जीवन में लगे कि हम बहुत दूर निकल आए हैं, कि हमारे कर्म हमें घेरे हुए हैं, कि भीतर कुछ भारी है… तो Papankusha Ekadashi की शरण में आएं। यह दिन सिर्फ पवित्र नहीं, शक्तिशाली भी है। यह दिन आपको आपके ही भीतर बैठे परमात्मा तक पहुंचा सकता है।

क्योंकि पाप हमारे जीवन का आखिरी अध्याय नहीं होता… अगर हम व्रत, भक्ति और समर्पण से अगला अध्याय लिखने को तैयार हों।

आप सभी को Papankusha Ekadashi की हार्दिक शुभकामनाएं!

हरे कृष्णा 
राधे राधे

🔹 1. पूज्य Premanand Ji महाराज जी  के अमृतमयी प्रवचनों को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध 👉 पूज्य Premanand Ji महाराज जी की वाणी अनुभाग अवश्य देखें। यहाँ उनकी दिव्य शिक्षाओं और भक्ति से जुड़े अनेक प्रेरणादायक लेखों का संग्रह है।

🔹 2. यदि आप पूज्य Premanand Ji महाराज जी महाराज को स्वयं बोलते हुए सुनना चाहते हैं, तो 👉 यहाँ क्लिक करें — उनके एक दुर्लभ और हृदयस्पर्शी प्रवचन को सुनने के लिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *