क्या आप जानते हैं कि Kamada Ekadashi (कामदा एकादशी) एक ऐसा दिव्य व्रत है, जिसकी महिमा गंगा, गया, काशी और कुरुक्षेत्र जैसे तीर्थों से भी अधिक मानी गई है? ऐसा व्रत जो न केवल समस्त पापों का नाश करता है, बल्कि सच्ची श्रद्धा से किए जाने पर संतान प्राप्ति जैसी विशेष इच्छाओं को भी पूर्ण करता है। कामदा” शब्द का अर्थ ही होता है — मन की प्रत्येक कामना को पूर्ण करने वाली। नारद पुराण में Kamada Ekadashi का उल्लेख करते हुए वशिष्ठ मुनि ने कहा है कि Kamada Ekadashi के दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से सारे पाप तत्क्षण भस्म हो जाते हैं और मनुष्य सरलता से आध्यात्मिक लोक की ओर अग्रसर हो जाता है।

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Toggle🌺Kamada Ekadashi की व्रत कथा 🌺
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी के विषय में युधिष्ठिर महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा — “हे केशव, कृपया मुझे बताइए कि इस एकादशी का नाम क्या है, इसका महत्व क्या है, और इसे किस विधि से करना चाहिए?”
श्रीकृष्ण मुस्कराए और बोले — “हे राजन, यह कथा एक समय महाराज दिलीप को वशिष्ठ ऋषि ने सुनाई थी। मैं तुम्हें वही कथा सुनाता हूं जो वराह पुराण में वर्णित है।”
बहुत समय पूर्व रत्नपुर नामक एक स्वर्णमयी नगरी थी, जहां गंधर्वों और किन्नरों का निवास था। इस राज्य के राजा पुंडरिक थे। इसी नगरी में ललित नामक गंधर्व अपनी सुंदर पत्नी ललिता के साथ रहता था। दोनों में अत्यंत प्रेम था और वे एक क्षण भी एक-दूसरे के बिना नहीं रह पाते थे।
एक दिन राजा पुंडरिक की सभा में संगीत और नृत्य का कार्यक्रम था, जिसमें ललित भी गायन के लिए उपस्थित था। लेकिन पत्नी ललिता की अनुपस्थिति में उसका मन व्याकुल था और उसके गायन में त्रुटि हो गई। सभा में बैठे ईर्ष्यालु नाग करकोटक ने यह बात राजा को बताई। राजा अत्यंत क्रोधित हो गया और ललित को श्राप दे दिया — “हे मूर्ख, पत्नी की आसक्ति के कारण अपने कर्तव्य में चूक करने पर मैं तुझे नरभक्षी राक्षस होने का श्राप देता हूं!”
श्राप मिलते ही ललित का शरीर विकराल नरभक्षी में परिवर्तित हो गया — उसकी भुजाएं 8 मील लंबी, नेत्र सूर्य-चंद्र समान विकराल और शरीर पर्वत समान विशाल हो गया। पत्नी ललिता अपने पतिव्रता धर्म का पालन करते हुए उसी विकराल रूप में हुए अपने पति के साथ जंगलों में भटकने लगी।
भटकते हुए एक दिन ललिता ऋषि श्रृंगी के आश्रम पहुंची और अपनी करुण कथा सुनाई। ऋषि श्रृंगी ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा — “हे देवी, निकट ही चैत्र शुक्ल एकादशी है, इसका श्रद्धा से व्रत करो और इसका पुण्य अपने पति को अर्पित कर दो। इससे तुम्हारे पति राक्षस योनि से मुक्त हो जाएंगे।”
ललिता ने विधिपूर्वक Kamada Ekadashi का व्रत किया और द्वादशी के दिन भगवान वासुदेव के समक्ष प्रार्थना की — “हे प्रभु, मैंने यह व्रत अपने पति की मुक्ति के लिए पूर्ण निष्ठा से किया है, कृपया इस पुण्य का फल उन्हें प्रदान करें।”
जैसे ही ललिता ने यह कहा, एक चमत्कार हुआ — ललित का राक्षस रूप समाप्त हो गया और वह पुनः सुंदर गंधर्व के रूप में प्रकट हुआ। दोनों ने भगवान की स्तुति की और अपने राज्य में लौटकर सुखपूर्वक जीवन बिताने लगे।
कथा के अंत में भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं — “हे राजन, यह Kamada Ekadashi इतनी पवित्र है कि केवल इसकी कथा का श्रवण ही मनुष्य को ब्रह्महत्या और अन्य घोर पापों से मुक्त कर सकता है। तीनों लोकों में इससे श्रेष्ठ दिवस कोई नहीं है।”
🌸 निष्कर्ष — Kamada Ekadashi का अद्भुत चमत्कार🌸

Kamada Ekadashi केवल एक धार्मिक व्रत नहीं, बल्कि विश्वास, श्रद्धा और सच्चे प्रेम की शक्ति का प्रतीक है। यह व्रत न केवल पापों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और इच्छित फल प्रदान करता है। जो भी श्रद्धालु Kamada Ekadashi की कथा को पूरी श्रद्धा से सुनता या पढ़ता है, वह आध्यात्मिक रूप से उन्नत होता है और दिव्य लोक को प्राप्त करता है।
🌹 Kamada Ekadashi (कामदा एकादशी) की आप सभी को कोटिशः शुभकामनाएं 🌹
💫 आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि सदैव बनी रहे। 💫
✨🌼🌸 राधे राधे 🌸🌼✨
🌷🌺🌹 जय श्रीहरि 🌹🌺🌷
🌸🙏🌸 🌼 हरे कृष्णा। 🌼 🌸🙏🌸
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जय श्री कृष्ण, राधे राधे 🙏🏻🙏🏻 कामदा एकादशी की शुभकामनाएं।
Very good
This was a truly excellent Ekadasi story – beautifully narrated, deeply moving, and incredibly inspiring! It wonderfully highlights the profound significance and blessings of observing this sacred day, strengthening faith and providing clear insight. Thank you so much for sharing this powerful and engaging narration. Hari Bol!”absolutely outstanding Ekadasi story! It was not only beautifully told and deeply resonant, but also masterfully illustrated the importance, power, and spiritual benefits of Ekadasi observance. A truly inspiring and insightful piece that encourages sincere devotion. Thank you for sharing this gem! Jai Shri Krishna!”