Wife Responsibilities to Her Husband: गृहस्थ जीवन में पत्नी की भूमिका पति के प्रति पत्नी के कर्तव्य

Wife Responsibilities to Her Husband

एक devoted wife सफल और सुखी वैवाहिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्राचीन ग्रंथों में wife responsibilities to her husband को सुंदर रूप में दर्शाया गया है। आज के समय में पारिवारिक मूल्यों का ह्रास होता जा रहा है। नैतिकता और संस्कारों की जड़ें कमजोर हो रही हैं, जिससे समाज में कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।  Wife responsibilities to her husband केवल एक सामाजिक परंपरा नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक साधना भी है। यदि परिवार को सुदृढ़ और सुखमय बनाना है, तो सबसे पहले चरित्र की शुद्धता आवश्यक है। एक पत्नी के लिए अपने पति के प्रति कर्तव्य को समझना और निभाना उसके जीवन को सफल और आनंदमय बनाता है।

पति-पत्नी के रिश्ते की नींव विश्वास, प्रेम और सम्मान पर टिकी होती है। यदि किसी भी संबंध में चरित्र भ्रष्टता आ जाए, तो वह संबंध लंबे समय तक नहीं टिक सकता। इसलिए, सबसे पहले चरित्र की पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है। भगवत भक्ति से जीवन में धैर्य और सहनशीलता आती है, जिससे परिवार में शांति बनी रहती है। जब एक Wife अपने husband को भगवान के रूप में देखती है और उनकी सेवा करती है, तो उसका जीवन अत्यंत शुभ और सफल होता है।

गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में पतिव्रता धर्म की चार श्रेणियों का उल्लेख किया है:

जग पतिब्रता चारि बिधि अहहीं। बेद पुरान संत सब कहहीं॥

उत्तम के अस बस मन माहीं। सपनेहुँ आन पुरुष जग नाहीं॥

उत्तम श्रेणी की पतिव्रता- वह स्त्री, जिसके मन में यह भाव होता है कि उसके पति के अलावा जगत में कोई अन्य पुरुष नहीं है। ऐसी पतिव्रता स्त्री का जीवन अत्यंत आदर्श माना जाता है।

मध्यम परपति देखइ कैसें। भ्राता पिता पुत्र निज जैसें॥

धर्म बिचारि समुझि कुल रहई। सो निकिष्ट त्रिय श्रुति अस कहई॥

मध्यम श्रेणी की पतिव्रता- मध्यम श्रेणी की पतिव्रता पराए पति को कैसे देखती है, जैसे वह अपना सगा भाई, पिता या पुत्र हो (अर्थात समान अवस्था वाले को वह भाई के रूप में देखती है, बड़े को पिता के रूप में और छोटे को पुत्र के रूप में देखती है।) जो धर्म को विचारकर और अपने कुल की मर्यादा समझकर बची रहती है, वह निकृष्ट (निम्न श्रेणी की) स्त्री है, ऐसा वेद कहते हैं

इस प्रकार, एक स्त्री यदि अपने धर्म और कर्तव्यों को समझकर (Wife Responsibilities to Her Husband ) आचरण करती है, तो उसका दांपत्य जीवन सुखमय रहता है और परिवार में सद्भाव बना रहता है। हमें एक सिद्धांत बताया गया था कि “यदि धन नष्ट हो गया तो कुछ नष्ट हो गया, यदि स्वास्थ्य नष्ट हो गया तो कुछ नष्ट हो गया, लेकिन यदि चरित्र नष्ट हो गया तो सब कुछ नष्ट हो गया।” यह विचार जीवन के हर पहलू में लागू होता है। वर्तमान समय में, यह सोच कहीं न कहीं धुंधली होती जा रही है, लेकिन आज भी एक चरित्रवान व्यक्ति ही सच्चे अर्थों में श्रेष्ठ माना जाता है।

चरित्र की शुद्धता को बनाए रखने के लिए हमें रामचरितमानस, श्रीमद्भागवत महापुराण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए। परिवार में आध्यात्मिक वातावरण बनाए रखने के लिए 10-30 मिनट कीर्तन, ठाकुरजी की आरती और पूजन करना लाभकारी होता है। Wife responsibilities to her husband में प्रेम, समर्पण और निष्ठा का विशेष स्थान है, जो वैवाहिक जीवन को सुखमय और संतुलित बनाते हैं

गृहस्थ जीवन में पत्नी का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। “Wife responsibilities to her husband” का उल्लेख हमारे शास्त्रों में विस्तार से किया गया है। एक आदर्श पत्नी वही होती है जो अपने पति की सेवा को प्राथमिकता देती है, लेकिन ठाकुरजी की सेवा को भी स्थान देती है।

पति जब ऑफिस जाता है, तो एक अच्छी गृहिणी का कर्तव्य होता है कि वह उसका भोजन तैयार करे, टिफिन लगाए, और फिर एकांत में ठाकुरजी की पूजा व भजन करे। उसे अपने पति को भगवान का रूप मानना चाहिए और पर-पुरुष की ओर देखने से बचना चाहिए। साथ ही, ससुरालजनों की सेवा और पति के धर्म के अनुसार जीवन व्यतीत करना चाहिए। यदि पत्नी इन सभी बातों का पालन करती है, तो वह गृहस्थ जीवन में रहकर भी भगवान की प्राप्ति कर सकती है। Wife responsibilities to her husband में अपने पति के प्रति प्रेम, सम्मान और समर्पण आवश्यक हैं।

महाभारत की सीख – पतिव्रता स्त्री के तप से ऋषि भी चकित

महाभारत में एक घटना आती है, जिसमें कश्यप नाम के एक ऋषि एक पेड़ पर तपस्या कर रहे थे। तभी उस पेड़ के ऊपर एक बगुली आयी और उन पर बीट कर दी। ऋषि ने क्रोधित होकर बगुली को गुस्से से देखा और वह जलकर भस्म हो गई। यह देख ऋषि को अपनी सिद्धि पर अभिमान हो गया।

एक दिन वे भिक्षा मांगने के लिए एक घर गए और आवाज़ लगाई “भिक्षाम देहि”। घर से एक स्त्री आई और उसने कहा – “महाराज, कृपया कुछ क्षण प्रतीक्षा करें।”
वहाँ दूसरे दरवाजे से उसका पति आया, उसने अपने पति का स्वागत किया, उसके पैर धोए, उसे बैठाया और उसे थोड़ा पानी पिलाया फिर कहा भगवन आपके घर संत आये हैं तो हमें उनको भिक्षा देनी चाहिए,. पति की आज्ञा मिलने पर वह ऋषि के लिए कुछ फल मूल आदि लिए और उनको देने लगी लेकिन ऋषि को विलंब से क्रोध आया, लेकिन उस स्त्री ने कहा – “महाराज, आप गुस्सा मत होइए, मैं कोई बगुली नहीं जो आपकी दृष्टि मात्र से जल जाऊंगी। मैं अपने पति की सेवा के कारण तीनों कालों का ज्ञान (त्रिकालयज्ञ) रखती हूँ।” यह सुनकर कश्यप ऋषि आश्चर्यचकित हो गए।

पतिव्रता अनुसूया जी ने अपने पति की सेवा और भक्ति के प्रभाव से भगवान को छह माह के बालक में बदल दिया, जिससे ब्रह्मा, विष्णु और महेश स्वयं उनके बालक बन गए। पति की सेवा के प्रभाव से यमराज भी भ्रमित हो गए। इसी तरह सावित्री जी की महानता भी अद्वितीय है। पत्नी को अपने पति को परमेश्वर मानकर अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्य रखना चाहिए। इसके लिए भगवान का भजन, शास्त्र स्वाध्याय और सत्संग आवश्यक हैं। यदि ये नहीं होगा तो प्रतिकूल परिस्थितियों में द्वेष और अनुकूल परिस्थितियों में आसक्ति उत्पन्न होगी। एक devoted wife अपने पति के प्रति सम्मान, सेवा और कर्तव्यपरायणता से अपने गृहस्थ जीवन को सफल बनाती है, यही wife responsibilities to her husband का सार है

गृहस्थ जीवन की सफलता –अतीत को भूलें, प्रेम और ईमानदारी अपनाएं

गृहस्थ जीवन में प्रेम सर्वोपरि है। प्रेम में केवल देने का भाव होता है, लेने की इच्छा नहीं। प्रेम में सुख देने की भावना होनी चाहिए और इसे ईश्वरीय दृष्टि से देखना चाहिए। पत्नी को अपने पति से प्रेम और श्रद्धा के साथ नाम जप, सत्संग और शास्त्र स्वाध्याय में संलग्न रहना चाहिए। यह गृहस्थ जीवन को सफल बनाएगा और भगवान की कृपा प्राप्त होगी।

यदि विवाह से पूर्व कोई गलती हुई हो, तो उसे अतीत समझकर भूल जाना चाहिए। अपने पति के साथ पूर्ण निष्ठा और समर्पण से जीवन व्यतीत करना चाहिए। यदि किसी अन्य पुरुष के प्रति कभी कोई भाव रहा हो, तो उसे भूलकर केवल अपने पति को ही अपना सर्वस्व मानना चाहिए। पति-पत्नी के बीच पूर्ण ईमानदारी और विश्वास होना आवश्यक है।

पुरुष को भी चाहिए कि यदि उसने कभी कोई गलती की हो, तो उसे छिपाने के बजाय स्वयं को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। विवाह के बाद पति को अपनी पत्नी के प्रति पूर्ण निष्ठा रखनी चाहिए और किसी अन्य महिला के प्रति आकर्षण नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने से ही सुखी और समर्पित दांपत्य जीवन संभव है।

इस कथा से स्पष्ट होता है कि wife responsibilities to her husband केवल सेवा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रेम, समर्पण और निष्ठा का प्रतीक है। एक devoted wife अपने पति के सम्मान और देखभाल से न केवल वैवाहिक जीवन को सफल बनाती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी प्राप्त करती है। Loyalty in married life से ही दांपत्य जीवन में शांति, सौहार्द और divine blessings आती हैं। जब एक पत्नी अपने कर्तव्यों को निष्ठा और श्रद्धा से निभाती है, तो वह न केवल अपने परिवार को संवारती है, बल्कि समाज में भी आदर्श स्थापित करती है।

यह विचार एकान्तिक वार्ता 830, पूज्य प्रेमानंद जी से प्रेरित है। अधिक जानने के लिए, यहां देखें: https://www.youtube.com/watch?v=egr3lC5245A&t=505s

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