The Role of a Husband: माता-पिता की सेवा और पत्नी का सम्मान.

Role of a Husband

पति का कर्तव्य केवल एक जीवनसाथी के रूप में नहीं, बल्कि एक सशक्त स्तंभ के रूप में भी होता है। Role of a husband केवल घर चलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संतुलन बनाए रखने की कला भी है। पत्नी को सिर्फ एक जीवनसाथी के रूप में नहीं, बल्कि एक पवित्र आत्मा के रूप में देखना चाहिए। उसके हृदय मंदिर में भगवान के दर्शन करें और अंदर राधा का जाप करें। यदि पत्नी माता-पिता की सेवा नहीं करना चाहती, तो यह उसका निर्णय हो सकता है, लेकिन पति को अपने माता-पिता की सेवा से पीछे नहीं हटना चाहिए। माता-पिता का पहला अधिकार होता है—पहला स्थान पत्नी का नहीं, बल्कि उन माता-पिता का है, जिन्होंने तुम्हें जन्म दिया और तुम्हें एक योग्य पति और इंसान बनने के लायक बनाया।

The Role of a Husband

माता-पिता की सेवा और पत्नी का सम्मान

माता-पिता की सेवा करना जीवन का सबसे बड़ा कर्तव्य है। लेकिन साथ ही, पत्नी को भी खुश रखना, उसका सम्मान करना, उसे आर्थिक सुरक्षा देना और उसकी इच्छाओं को पूरा करना पति की जिम्मेदारी है। Role of a husband केवल कर्तव्यों को पूरा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक अच्छे इंसान के रूप में खुद को विकसित करने का भी अवसर है। अगर आज, जब आप युवा हैं, अपने बूढ़े माता-पिता की सेवा नहीं करोगे, तो वे किसके पास जाएंगे? खुद को उनके स्थान पर रखकर देखो और सोचो—अगर भविष्य में तुम्हारे बच्चे तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार करें, तो तुम्हें कैसा महसूस होगा? याद रखो, बच्चे वही सीखते हैं, जो वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं।

कर्म का फल अवश्य मिलता है

यदि आप अपने माता-पिता को खुशी दोगे, तो आपको भी खुशी मिलेगी। लेकिन यदि आप उन्हें दर्द दोगे, तो वही दर्द एक दिन आपके पास लौटकर आएगा। एक पुरानी कहानी बताती है कि एक महिला अपनी बूढ़ी सास को मिट्टी के कटोरे में दाल परोसती थी। एक दिन जब कटोरा थोड़ा ज्यादा हिल गया, तो बेटे ने कहा, “मम्मी, यह कटोरा टूटना नहीं चाहिए!” जब मां ने पूछा “क्यों?” तो बेटे ने जवाब दिया, “आज आप इसे दादी को दे रही हो, कल हम आपको भी इसी कटोरे में खाना देंगे।” यह सुनकर मां को अपनी गलती का एहसास हुआ।

माता-पिता की आर्थिक देखभाल

माता-पिता की सेवा सिर्फ भावनात्मक ही नहीं, आर्थिक रूप से भी करनी चाहिए। यदि आपकी मासिक आय 1000 रुपये है, तो कम से कम 200 रुपये माता-पिता के लिए जरूर रखें। वे बूढ़े हो चुके हैं, उनका ख्याल रखना आपकी जिम्मेदारी है। जी-जान से उनकी सेवा करें और किसी की भी नकारात्मक बातों पर ध्यान न दें। Role of a husband में यह भी शामिल है कि वह माता-पिता और पत्नी के बीच संतुलन बनाए रखे और परिवार को एकजुट रखे।

सास-ससुर और बहू का रिश्ता

सास-ससुर को भी अपनी बहू को उसी दृष्टि से देखना चाहिए, जैसे वे अपनी सगी बेटी को देखते हैं। यदि उनकी बेटी इस स्थिति में होती, तो वे उसके साथ कैसा व्यवहार करते? बहू को भी घर की बेटी की तरह ही मानना चाहिए। उसे नौकरानी समझना या अपमानित करना उचित नहीं है। यदि हम अपनी बहू को प्यार और सम्मान देंगे, तो हमारा जीवन सुखद और आनंदमय होगा। याद रखें, बहू केवल घर में आई हुई एक लड़की नहीं, बल्कि वह गृहलक्ष्मी है—जो आपके परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाने वाली है।

स्त्री का सम्मान आवश्यक

Role of a Husband

जहाँ स्त्रियों का सम्मान होता है, वहाँ लक्ष्मी का वास होता है। लेकिन जहाँ महिलाओं को अपमानित किया जाता है, वहाँ कभी समृद्धि और सुख नहीं आ सकता। यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी का सम्मान नहीं करता, उसे दुख पहुँचाता है, तो वह खुद के लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है। इस संसार में तो शायद कोई उसे न टोकें, लेकिन परलोक में इसका परिणाम अवश्य भुगतना पड़ेगा। इसलिए, स्त्रियों को देवी का रूप मानकर उनका सम्मान करें।

पति की भूमिका

Role of a husband सबसे महत्वपूर्ण होती है। उसे अपनी पत्नी और माता-पिता दोनों के प्रति धैर्य रखना चाहिए। यदि पत्नी कुछ अनुचित कहती है, तो चुप रहना चाहिए—लेकिन मारपीट, गाली-गलौच या अपमान करना उचित नहीं है। माता-पिता कुछ भी कहें—चाहे सही या गलत—उनकी बातें धैर्यपूर्वक सुननी और सहन करनी चाहिए। गाली या पलटकर जवाब देना अनुचित है।

धैर्य रखना, अनुचित बातें सह लेना, माता-पिता की सही और गलत दोनों बातें सह लेना—यही सच्ची सेवा है। यदि कोई रिश्तेदार आपके माता-पिता की आलोचना भी करे, तो मुस्कुराते हुए पहले की तरह उनकी सेवा जारी रखें। इससे आपका ही भला होगा।

निष्कर्ष

Role of a Husband

अपने माता-पिता की सेवा करो, अपनी पत्नी से प्रेम करो और उसे सम्मान दो। जीवन को संतुलित और खुशहाल बनाओ। Role of a husband केवल अधिकारों तक सीमित नहीं, बल्कि यह जिम्मेदारियों और कर्तव्यों से भरा हुआ है। याद रखो, जो सम्मान और प्रेम आज दोगे, वही कल लौटकर तुम्हारे पास आएगा।

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यह विचार एकान्तिक वार्ता 827, पूज्य प्रेमानंद जी से प्रेरित है। अधिक जानने के लिए, यहां देखें:  https://www.youtube.com/watch?v=KGplTNrTi7g&t=1159s

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